WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

ग्वार की बिजाई पिछड़ी देखे ग्वार की रिपोर्ट

नमस्कार किसान साथियो ग्वार की बिजाई पिछड़ी आज की इस पोस्ट में जानेगे ग्वार से जुडी महत्वपूर्ण जानकारिया , इसलिए पोस्ट को पूरा जरुर पढ़े

जुलाई महीना आधा पार कर चुका है, 25% ग्वार उत्पादन देने वाला बुआई क्षेत्र लगभग 40-50% कम हो गया है, आज से नहर बेल्ट- गंगानगर हनुमानगढ़ हरियाणा में बुआई का समय समाप्त हो रहा है। यहां फसल की वृद्धि फलों के उत्पादन पर निर्भर नहीं करेगी.

सरसों के भाव (2023) में लौटी तेजी या मंदी ? देखे आज के ताजा सरसों के भाव देशभर में

गेहूं का भाव 14 जुलाई जानिए गेहूं के ताजा भाव aaj ka gehun ka bhav

हाज़िर माल की कमी के कारण चना के भाव में तेजी फिर लौटेगी देखे ताजा रिपोर्ट 2023

आधा बीकानेर, चूरू, सीकर, नागौर मेड़ता , बाड़मेर क्षेत्र
यकीन मानिए इस बार बारानी में मूंग बाजरा, मूंगफली नरमा ने ट्युवेल पर बाजी मार ली है, ग्वार पिछड़कर पांचवें नंबर पर चला गया है।

जैसलमेर, बीकानेर के आधे वर्षा आधारित क्षेत्र में अभी भी बुआई बाकी है। यह बारिश पर निर्भर करेगा, क्षेत्रफल बड़ा जरूर है, लेकिन अगर बारिश हुई तो प्राथमिकता मोठ को दी जाएगी।
दोस्तों जिस तरह से ग्वार की मंदी के कारण व्यापारी काफी समय से परेशान हैं उसी तरह कम कीमतों के कारण किसानों का भी ग्वार से मोह भंग हो गया है। आपने देखा होगा कि परेशान किसानों ने धीरे-धीरे ग्वार की बुआई कम कर दी और लाल पीला पुराना स्टॉक बेचना शुरू कर दिया, पिछले 6 महीने से लगभग पुराना ग्वार मांग को पूरा कर रहा है।

ग्वार बिजाई आधी रहने की सम्भावना

हकीकत तो यह है कि सरकारी आंकड़ों से भी आपको जमीन पर ग्वार की बुआई बहुत कम मिलेगी, क्योंकि एक खास बात बता दूं कि ग्वार की एमएसपी के बिना भी किसान को फसल बीमा क्लेम मिलता है और मूंग की एमएसपी के बावजूद भी , उसे क्लेम नहीं मिलता।
हालाँकि, आज स्थानीय मौसम की वह बौछार नहीं है जो पिछले दो दिनों से नदियाँ बहा रही थी। उमस खत्म और गर्मी बढ़ी, मौसम साफ, बुआई आधी /

Mandi report गेंहू बाजरा और मक्का की साप्ताहिक तेजी मंदी रिपोर्ट

अचानक आई बाढ़ में बह गए कार समेत 3 दोस्त देखे पूरी खबर

किसान साथियो आपको यह जानकारी कैसी लगी सभी साथी अन्य साथियो के साथ शेयर जरुर करे

जानकारी श्रोत – ग्वार ट्रेडर्स & राजस्थान एग्री ग्रुप के सदश्य श्री श्रीपाल सारस्वत के द्वारा