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सभी फसलों की तेजी मंदी समीक्षा

तेजी मंदी समीक्षा 2023

तेजी मंदी समीक्षा
तेजी मंदी समीक्षा

सोयाबीन तेल: तेजी की उम्मीद कम

ग्राहकी कमजोर होने से गत सप्ताह के दौरान सोया तेल के भाव 11000 से घटकर 10600 रुपए प्रति कुंतल रह गए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की मंडियों में बिकवाली से सोया तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहा। आयातको की बिकवाली से कांदला में इसके भाव 250 रुपए घटकर 10200 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। स्टॉक को देखते हुए इसमें और ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है।

आज का नरमा कपास का भाव

सोयाबीन: प्लांटों की मांग घटी सोयाबीन में तेजी कब आएगी

गत सप्ताह सोयाबीन का दबाव मंडियों में बढ़ जाने से 50 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई। मंडियों में लूज भाव 4900/5000 रुपए प्रति क्विंटल के निम्न स्तर पर आ गए। प्लांट पहुंच में जो 5300 रुपए एमपी में बिकने के बाद 5200 रुपए रह गए । महाराष्ट्र की मंडियों में भी बाजार दबे रहे। सोयाबीन सीड में साल्वेंट प्लांटों की मांग कमजोर रही। दूसरी ओर डीओसी में भी निर्यातक माल लेने से पीछे हट गए हैं। आज 25/50 रुपए प्रति क्विंटल सोयाबीन के भाव घटाकर प्लांट पहुंच में व्यापार सुना गया । जो सोयाबीन मंडी में 5250 / 5300 रुपए प्रति कुंतल बिक रही थी, उसके भाव 5200 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। तेल सोया के भाव भी 50 रुपए इटारसी, इंदौर, नागपुर लाइन में नरम बोले गए। अतः आगे और थोड़ा मंदा लग रहा है।

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सीपीओ: मंदा नहीं

विदेशों में सीपीओ के भाव 1030 से बढ़कर 1040 डालर प्रति टन हो जाने के बावजूद गत सप्ताह के दौरान कांदला में इसके 8500 से घटकर 8400 रुपए प्रति कुंतल रह गए । सटोरिया लिवाली केएलसी मई जून डिलीवरी में मंदे का रुख रहा। डॉलर की तुलना में रुपए की कमजोरी को आने वाले दिनों इसमें मंदे की संभावना नहीं है

बिनौला तेल: मंदा नहीं

रिफाइंड व वनस्पति घी निर्माताओं की मांग कमजोर होने की आवक बढ़ने से बिनौला तेल के भाव 10100 से टूटकर 9700 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। हरियाणा में इसके भाव 9550 रूपए बोलें गए। पंजाब की मंडियों में बिनौला के भाव 3600/3700 रुपए प्रति कुंतल पर मजबूत रहे आपूर्ति व मांग को देखते हुए इसमें ज्यादा घटबढ़ की संभावना नहीं है।

सरसों तेल :बढ़ने के आसार कम

हरियाणा व राजस्थान की बिकवाली घटने तथा ग्राहकी बढ़ने से गत सप्ताह के दौरान सरसों तेल के भाव 11000 से घटकर 10600 रुपए प्रति कुंटल रह गए। दादरी में इसके भाव 10500 रुपए प्रति कुं बोले गए। बिहार, बंगाल की मांग घटने से राजस्थान की मंडियों में भी कच्ची घानी तेल की कीमतो लुढ़क गई। आपूर्ति और मांग को देखते हुए आने वाले दिनों में सरसों तेल में तेजी की उम्मीद नहीं है।

देसी घी- स्टॉक क्षमता नहीं

देसी घी में ऊंचे भाव पर स्टाक क्षमता बिल्कुल कारोबारियों में नहीं है तथा व्यापार बहुत कमजोर है। बल्क में खपत होने वाले देसी घी की आपूर्ति मिलावट करने वाले संभाल लिए हैं तथा सरकार मिलावटखोरों पर शिकंजा नहीं कर पा रही है, इन परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के देसी घी में अभी तेजी की गुंजाइश नहीं लग रही है तथा वर्तमान भाव पर बिक्री के हिसाब से ही माल खरीदना चाहिए। कंपनियों के पास जो माल बन रहा है, प्रचुर मात्रा में नहीं बिक रहा है, जिससे उन्हीं के माल अंडर रेट में बिक रहे हैं। इस समय प्रीमियम क्वालिटी के देसी घी 7900/8100 रुपए के बीच में बिक रहे हैं, जबकि कंपनियां 300/400 रुपए ऊपर बोल रही हैं।

सरसों: ठहराव की उम्मीद , सरसों का भाव कब बढेगा

राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश से सरसों की आवक5 लाख से बढ़कर 12 लाख बोरी के लगभग दैनिक हो जाने तथा तेल मिलों की मांग घटने से लारेंस रोड पर सरसों के भाव गत सप्ताह के दौरान 5600/5650 से घटकर 5400/5450 रुपए प्रति कुंतल रह गई। नजफगढ़ मंडी में इसके भाव 4900/5000 रुपए प्रति कुंतल बोले गए। जयपुर में 42 प्रतिशत कंडीशन सरसों के भाव 5650/5700 रूपए क्विंटल रह गए। आपूर्ति व मांग को देखते हुए इसमें अभी तेजी की उम्मीद नहीं है।

मक्की समीक्षा – मक्का का भाव

बिहार के खगड़िया, बेगूसराय, मधुबनी, पूर्णिया, गुलाब बाग, दरभंगा, मानसी एवं कटिहार लाइन में मक्की की नई फसल आ रही है तथा गत सप्ताह आवक में 50 रुपए की वृद्धि हो गई, जिससे वहां भाव 150 रुपए टूटकर मंडियों में 2150/2200 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। इसके प्रभाव से यहां भी 100 रुपए गिरकर हरियाणा पंजाब पहुंच में 2350/2360 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं तथा आवक के दबाव को देखकर अगले एक सप्ताह के अंतराल 100 रुपए की और गिरावट लग रही है।

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गेंहू का भाव कब बढ़ेगा ? गेंहू में तेजी कब आएगी ?

गत सप्ताह के उत्तरार्ध में मौसम चारों तरफ गर्म होने लगा है, जिससे गेहूं की कटाई मड़ाई का काम तेजी से चलने लगा है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए गेहूं का दबाव मंडियों में बढ़ेगा, लेकिन दूसरा पक्ष यह है कि सरकार धर्मकांटे अलग-अलग मंडियों में लगाकर माल का इंतजार कर रही हैं तथा उस हिसाब से गेहूं नहीं आ पा रहा है, क्योंकि स्टॉकिस्ट भी एमपी यूपी एवं राजस्थान में अभी से 2050/2100 रुपए प्रति क्विंटल में लिवाली करने लगे हैं। यहां 2250 रुपए प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है, इसमें भी 50 रुपए से ज्यादा घटने की गुंजाइश नहीं है।

चावल तेजी मंदी समीक्षा

गत सप्ताह गेहूं एवं मक्की में आई गिरावट से बाजरे की बिक्री भी प्रभावित हुई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इसका स्टॉक इटावा, एटा, मैनपुरी, हाथरस, मथुरा, भरतपुर किसी भी उत्पादक मंडियों में ज्यादा नहीं है तथा किसानी माल की आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है। गौरतलब है कि बासमती प्रजाति के सभी धान की नई आवक होने में अभी 6 महीने का समय बाकी है, उससे पहले एक फसल गर्मी वाली जीरी मई-जून में आने वाली है, लेकिन उसकी बिजाई भी अनुकूल नहीं बता रहे हैं, इन परिस्थितियों में बारीक धान की उपलब्धि राइस मिल में ज्यादा नहीं है तथा निर्यातकों के पास ईरान सहित अन्य खाड़ी देशों के सौदे ज्यादा हैं। अतः बाजार आगे चलकर तेज हो जाएगा बाजारों में ताज एवं 1718 बासमती प्रजाति के चावल की पूछ परख अच्छी है, उस हिसाब से राइस मिलों में स्टॉक नहीं है। अत: बाजार तेज ही रहेगा।

राजमां चित्रा तेजी का बिल्कुल व्यापार नहीं

राजमां चित्रा में हल्के भारी माल प्रचुर मात्रा में मंडियों में पड़े हुए हैं तथा तेजी को देखकर गन्ना माल इस बार कारोबारियों ने प्रचुर मात्रा में उठाकर पैकिंग कर लिया है, इस माल का उत्पादन अधिक एवं क्वालिटी भी बहुत बढ़िया आई थी तथा वही माल मंडियों में काउंटर सेल में बिक रहे हैं, जिस वजह से ब्राजील एवं चाइना का व्यापार काफी घट गया है। हम मानते हैं कि ब्राजील चाइना का आयात ज्यादा नहीं हुआ है, क्योंकि आयातक पिछले साल के नुकसान उठा चुके हैं, जिससे बिक्री के हिसाब से खरीद रहे हैं, जो बढ़िया माल की शॉर्टज बनाएगा, लेकिन हल्के माल बराबर उतर रहे, जिससे लंबी तेजी नहीं है।

देसी चना- करेक्शन के बाद फिर बढ़ेगा

यद्यपि सरकार द्वारा देसी चने की बिजाई के अधिक अनुमान लगाए जा रहे हैं, लेकिन उत्पादक क्षेत्रों के किसान एवं व्यापारी बिजाई में भारी कमी का अंदेशा व्यक्त कर रहे हैं। यही कारण है कि अभी तक उत्पादक मंडियों में आवक का दबाव नहीं बन पाया है। राजस्थान में पिछले दिनो की हुई बरसात से प्रति हेक्टेयर देसी चने की उत्पादकता में कमी आ गई है, मध्य प्रदेश का माल ग्वालियर इंदौर वाले पहले ही खरीद चुके हैं, इन परिस्थितियों में गत एक सप्ताह के अंतराल जो 150/175 रुपए प्रति क्विंटल की चने में गिरावट आई है, इसमें अब घटने की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है।

तुवर केवल सरकार का प्रेशर

सरकार द्वारा दलहन बाजार पर पूरी सख्ती किया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी भी मंडी में तुवर का स्टॉक नहीं है । उधर बंदरगाह वाली मंडियां अभी खाली चल रही है, वहां भी जो माल पड़ा था वह बिका हुआ है तथा महाराष्ट्र कर्नाटक में किसानों के माल व्यापारियों के पास है, उस पर स्टॉक सीमा लागू नहीं होती है। दूसरी ओर बर्मा से भी 40-45 डॉलर प्रति टन बढ़ाकर भाव बोल रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए तुवर में घटने की गुंजाइश नहीं है तथा कभी भी बाजार 9000 रुपए हो जाएगा

काबुली चना- व्यापार लाभदायक रहेगा

हम मानते हैं कि काबली चने की बिजाई अधिक हुई थी तथा उत्पादन भी अधिक हुआ है, लेकिन पाइपलाइन में पुराना स्टॉक नहीं होने तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से मंडियों में इस बार माल का दबाव नहीं है। दूसरा एक तेजी का प्लस प्वाइंट यह भी है कि भोपाल, इंदौर एवं कर्नाटक की मंडियों से निर्यातक मोटे माल की खरीद पहले ही कर चुके हैं, जिससे सकल उपलब्धि में कमी बनी हुई है, यह आगे चलकर तेजी का कारण बनेगा। गत सप्ताह भी 3/4 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी पर महाराष्ट्र के माल 82/84 रुपए एवं कर्नाटक के बिना छने 104/106 रुपए प्रति क्विंटल किलो तक बिक चुके हैं।

मूंग बढ़िया 300 तक बढ़ सकती है

हम मानते हैं कि मध्य प्रदेश, उड़ीसा एवं बंगाल में नई मूंग आने लगी है, लेकिन बढ़िया मूंग की कमी खाटू लाइन की बनी हुई है, जिससे इसमें 200 रुपए प्रति क्विंटल की और बढ़त बन सकती है। नीचे वाले माल के पड़ते में उत्पादक मंडियों से आने लग रहे हैं, जिससे इसमें घटने की गुंजाइश नहीं है तथा जो मूंग धोया एवं छिलका पूर्वी भारत में जा रही थी, वहां उड़ीसा एवं बंगाल की पूर्ति करने लगी है, इन परिस्थितियों में एवरेज माल में तेजी नहीं लग रही है, लेकिन बढ़िया माल अपने भाव पर बिकेगा

उड़द ट्रेड में दूर-दूर तक जोखिम नहीं

उड़द की फसल निकट भविष्य में कोई आने वाली नहीं है। दूसरी ओर बर्मा से हाजिर लोडिंग का व्यापार ऊंचे पड़ते का हो रहा है। चेन्नई में भी स्टाक नहीं है तथा दिल्ली सहित उत्तर भारत के किसी भी मंडी में स्टॉक नहीं है। दाल मिलें जरूरत के अनुसार ही माल खरीद रही थी । यही कारण है कि उड़द में मंदा नहीं है, सरकार चाहे जितना इस पर दबाव बना ले। गत सप्ताह नीचे में 8300 रुपए प्रति क्विंटल बिकने के बाद सप्ताह के अंत में 8500 रुपए एसक्यू क्वालिटी की हो गई तथा इसमें 200/300 रुपए की जल्दी और तेजी लग रही है।

मसूर और घटने की गुंजाइश नहीं

मसूर की कटाई मड़ाई का काम अंतिम समय पर है। मंडियों में आवक बढ़ने से पिछले सप्ताह 50/75 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई। मध्य प्रदेश की मसूर बिल्टी में यहां 6150/6175 रुपए प्रति क्विंटल पर आकर ठहर गई है। कनाडा की मसूर भी 6025/6050 रुपए पर रुकी हुई है। वास्तविकता यह है कि कनाडा से और नीचे घटाकर वहां के आयातक बेचू नहीं आ रहे हैं, इन परिस्थितियों को देखते हुए मसूर में भी वर्तमान भाव पर स्टाक हुआ माल लाभकारी रहेगा। अतः वर्तमान भाव में अब रिस्क नहीं है।

ग्वार का भाव भविष्य 2023 : मंदा नहीं

गम मिलों की मांग निकलने से गत सप्ताह के दौरान जोधपुर मंडी ग्वार के भाव 50 रुपए घटकर 5650/5700 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। सटोरिया लिवाली घटने से एनसीडीईएक्स में ग्वार अप्रैल डिलीवरी में मंदे का रूख रहा। स्टॉक मांग को देखते हुए आने वाले दिनों में घटने की गुंजाइश नहीं है बाजार ठहरकर पुन: बढ़ सकता

व्यपार अपने विवेक से करे