मशरूम कि खेती पर सब्सिडी 2023 : Mushroom Subsidy yojana 2023 केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए विभिन प्रकार कि सरकारी योजनाएं जा रही है। पिछले कुछ सालो में इन सरकारी योजनाओं के बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। कुछ राज्यों के किसानों ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति को पहले से अच्छा बनाया है। सरकार के द्वारा एक बार फिर से किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए सरकारी प्रयास कर रही है , जिसमें बागवानी फसलो को बढ़ावा दिया जा रहा है। बीते कुछ सालो से देश में किसानों के बीच बागवानी फसलों का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें किसान अब पारंपरिक फसलों कि बजाय अन्य सब्जी, फल, औषधी और मसालों की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कम रहे हैं। वहीं पर केंद्र और राज्य सरकारो की सब्सिडी [अनुदान ] योजना का भी फायदा मिल रहा है।
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Mushroom Subsidy yojana 2023 –
ऐसे में किसान साथियों बागवानी में मशरूम कि खेती एक बेहतर मौका बनकर सामने आया है। वर्तमान समय में किसान साथी मशरूम उत्पादन यूनिट लगाकर अतिरिक्त मुनाफा कमा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से बिहार राज्य सहित देश के कई अन्य राज्य के किसान साथी मशरूम कि खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। आज बिहार से प्रेरित होकर राजस्थान सरकार भी राज्य में मशरूम की खेती को और बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को मशरूम कि खेती [उत्पादन यूनिट ] लगाने के लिए 40 प्रतिशत अधिकतम 8 लाख रुपए का अनुदान [ सब्सिडी ] भी दिया जा रहा है। देश-विदेश में फंगी/कवक की डिमांड तेजी से बढ़ रही है
जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने यह फैसला किया है। ताकि कम खर्च में बागवानी के माध्यम से राज्य के किसानों की आय को और अधिक बढ़ाया जा सके। राज्य सरकार की तरफ से इसके लिए समय-समय पर आवेदन [ फॉर्म ] मांगे जाते हैं। आप भी मशरूम कि खेती पर सब्सिडी योजना में आवेदन कर के लाभ उठा सकते हैं।
मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर मिल रही है सब्सिडी – Mushroom Subsidy yojana
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केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा बागवानी विकास मिशन के तहत सुपर-फूड के तौर पर फंगी/कवक उत्पाद को बहुत अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत राजस्थान सरकार द्वारा भी राज्य में कूड़ा खाद तैयार करके इसका व्यवसाय करने के लिए मशरूम उत्पादन यूनिटलगवाने पर किसानों को सब्सिडी दि जा रही है। किसान साथियो को मशरूम उत्पादन के व्यवसायिक यूनिट लगाने पर सरकार द्वारा 40 फीसदी और अधिकतम 8 लाख रुपए की सब्सिडी प्रति इकाई लागत पर दि जा रही है।
किसानों को यह सब्सिडी अधिकतम 20 लाख रुपए की लागत वाले मशरुम कि खेती [उत्पादन ] यूनिट पर दिया जाता है। वहीं, मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा 15 लाख रु तक की लागत वाली इकाई पर 40 प्रतिशत यानि अधिकतम 6 लाख रुपए तक का क्रेडिट लिंक बैक एंडिड अनुदान[सब्सिडी ] प्रदान करती है। राजस्थान सरकार मशरूम स्पॉन/कंपोस्ट उत्पादन यूनिट लगाने के लिए भी 20 लाख रुपए की सब्सिडी दे रही है, जिस पर प्रति इकाई लागत खर्च का 40 फीसदी सब्सिडी सरकार द्वारा क्रेडिट लिंक बैक एंडिड का अनुदान दिया जाता है।
राज्य के इन जिलों में किसानों को मिलेगा मशरूम कि खेती पर लाभ –
मशरूम एक कवक उत्पाद है, जिसे कूडा खाद (कंपोस्ट) से प्राप्त किया जाता है । आज देश-विदेश में इसकी मांग खूब बढ़ रही है। बढ़ती डीमांड को देखते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत मशरूम कि खेती को भी बागवानी फसलों में जोड़ दिया है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से भी मशरूम उत्पादन यूनिट लगाने पर सब्सिडी उपलब्ध का प्रावधान भी किया गया है।
ऐसे में राजस्थान की सरकार ने कम खर्चे में मशरूम कि खेती और ,मशरूम का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गतअलवर, बांसवाड़ा,अजमेर , बाड़मेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर,भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावार,सिरोही, सवाई माधोपुर, टोंक, उदयपुर, बांरा ,झुंझुनू, जोधपुर, कोटा, नागौर, पाली, और करौली जिले में मशरूम उत्पादन कार्यक्रम का संचालन सुचारू रुप से शुरू किया है। इन चयनित जिलों में किसान और किसान समूह को भी मशरूम उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत मशरूम की खेती करने पर अनुदान [ सब्सिडी ] उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया है।
अनुदान का लाभ लेने के लिए यहां करना होगा आवेदन –
राजस्थान की और से सरकार राज्य में कम खर्चे पर मशरूम का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को मशरूम उत्पादन कार्यक्रम के तहत मशरूम कि खेती पर अनुदान दे रही है। इसके लिए चयनित जिलों में कृषि विभाग ने किसान साथियो से आवेदन मांगे हैं। यदि आप भी ऊपर बताये जिलों से आते हैं और पारम्परिक खेती के साथ-साथ मशरूम कि खेती उत्पादन यूनिट लगाने पर क्रेडिट लिंक बैक एंडिड सब्सिडी [ Mushroom Subsidy yojana ]लेना चाहते हैं, तो आप अपने जिले के कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यालय में संपर्क कर के आवेदन कर सकते हैं। आवेदन फॉर्म को आप कृषि विभाग में ही ऑफलाइन जमा करवा सकते हैं। इसके अलावा, आप सीएससी सेंटर / ई-मित्र केंद्र पर भी बिना किसी शुल्क के आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन फॉर्म के साथ इन कागजातों की होगी आवश्यकता
मशरूम उत्पादन यूनिट पर उपलब्ध करवाई जा रही क्रेडिट लिंक बैंक एंडिड सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए इच्छुक किसान/ किसान समूहों को आवेदन के टाइम आवेदन फॉर्म में कुछ कागजातों को भी होगा, जो निचे बताया गया है –
आवेदन कर्ता का आधार कार्ड
बैंक खाता पासबुक कि फोटोकॉपी
पैन कार्ड [ स्वयं का ]
किसान साथी का शपथ पत्र या लोन की प्रतिलिपि
जन-आधार या भामाशाह कार्ड की प्रतिलिपि
अपनी पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट फाइल को भी अटैच करना होगा
मशरूम कि खेती सब्सिडी योजना से संबंधित कुछ आवश्यक बातें –
योजना के तहत निजी क्षेत्र में मशरूम इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने हेतु जरूरी मशीनरी व बुनियादी ढांचागत सुविधाएं और इससे सबंधित साधनों व स्थापित की जाने वाली स्पॉन व कम्पोस्ट यूनिटों के विवरण सहित प्लांट एवं मशीनरी का पूरा विवरण, लागत एस्टीमेट, वित्तीय विश्लेषण आदि ,सहित भू-स्वामित्व डॉक्यूमेंट व शपथ-पत्र, विस्तृत परियोजना प्रस्ताव, बैंक लोन स्वीकृति पत्र, के साथ प्रस्ताव जिला हॉर्टिकल्चर डवलपमेन्ट सेासायटी के तहत राजस्थान हॉर्टिकल्चर डवलपमेंट सोसायटी, जयपुर को उपलब्ध करवाना होगा । Mushroom Subsidy yojana
Mushroom Subsidy yojana 2023 – मशरूम कि खेती से जुड़े सवाल –
किसान साथियो को मशरूम उत्पादन के व्यवसायिक यूनिट लगाने पर सरकार द्वारा 40 फीसदी और अधिकतम 8 लाख रुपए की सब्सिडी प्रति इकाई लागत पर दि जा रही है।
अगर आप इस बिजनेश से मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपको मशरूम की खेती की उन्नत तकनीकों पर ध्यान देना होगा. इसे प्रति वर्ग मीटर में 10 किलोग्राम मशरूम आसानी से पैदा किया जा सकता है. कम से कम 40×30 फुट की जगह में तीन-तीन फुट चौड़ी रैक बनाकर आप मशरूम को उगा सकते हैं. मशरूम की खेती कारोबार को आप सरकारी सब्सिडी की मदद से शुरू कर सकते हैं.
मशरूम यूनिट के लिए धान पुआल मशरूम उगाने के लिए कम से कम खर्चे की आवश्यकता होती है और इसी कारण यह सबसे आकर्षक व्यवसाय है
हिमालय की वादियो में और घने जंगलों में पाया जाता है | विशव का सबसे महंगा मशरूम एवं देश की सबसे महंगी सब्ज़ी, गुच्छी या स्पंज मशरूम. ये सब्ज़ी जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड,के बर्फ़ीले पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है