WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

नरमा-कपास में उखेड़ा की बीमारी का पक्का इलाज इसके उपयोग से जड़ से खत्म होगा उखेड़ा रोग

नरमा-कपास में उखेड़ा रोग का इलाज इस तरह करे समाधान

दोस्तों किसान अपनी पूरी मेहनत से फसल को पैदा करते हैं लेकिन पैदावार लेने के समय अंत में अचानक फसल नष्ट होने से सारे अरमान टूट जाते हैं और किसान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। कुछ इसी तरह का रोग होता है वो उखेड़ा इस रोग की चपेट में आने से नरमा कपास का पौधा अचानक सूख जाता है और पौधे के लगे टिंडे भी सूख जाते हैं जिससे कपास की फसल बिल्कुल नष्ट हो जाने के बराबर हो जाती है किसान भाइयों इस गंभीर समस्या से छुटकारा पाने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

सरसों रेट में तेजी आज सरसों का ताजा भाव सरसों तेल सरसों खल का भाव देखे

फसल बीमा खाते में नहीं आया तो किसान यहाँ करे सम्पर्क तुरंत आएगा बीमा

नरमा कपास में उखेड़ा रोग से निजात कैसे पाएं

किसान साथियों जैसा कि आपको पता है कि नरमा कपास में उखेड़ा रोग हल्की जमीनों में बार-बार एक ही फसल की बुवाई करने से होता है जिससे जमीन में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। लेकिन कपास में टिंडे  लगने के वक्त पौधों को अधिक खुराक की आवश्यकता होती है लेकिन जमीन में पोषक तत्वों की कमी आ जाने से उचित खुराक नहीं मिल पाती और बरसात का मौसम होने से मच्छरों का प्रकोप भी अधिक हो जाने से अचानक फसल खराब हो जाती है।

मुख्यतः तीन कारणों से होता है वो उखेड़ा रोग

दोस्तों हरियाणा के भिवानी जिले में कपास में उखेड़ा रोग से परेशान किसानों ने जब कृषि विशेषज्ञों से बातचीत की कि वे इस रोग से छुटकारा कैसे लें तो डॉक्टर विकास पूनिया ने बताया कि उखेड़ा रोग मुख्यतः तीन कारणों से होता है। पहला जड़ों की गहराई ना होना दूसरा फंगस और तीसरा जमीन से खुराक ना मिलना जिससे पौधे का विकास सही नहीं हो पाता है।

कब आता है फसल में सूखा/ उखेड़ा रोग

दोस्तों फंगस की वजह से कपास में उखेड़ा या सूखा रोग सबसे ज्यादा होता है जिसे किसान अपनी भाषा में शॉर्ट मारना या सुखना रोग कहते हैं। और वैज्ञानिक भाषा में इसे विल्ट/पेरा विल्ट और फिजियोलॉजिकल डिसऑर्डर कहा जाता है। यह रोग ज्यादातर फंगस बैक्टीरिया से नहीं बल्कि अगस्त सितंबर माह में पौधों से जल्दी पानी उड़ जाने की और पौधे के सूखने की स्थिति में आ जाने से होता है। जिससे पौधे के टिंडे भी सूखने लगते हैं जिससे क्वालिटी में गिरावट आ जाती है और फसल को खुराक की कमी का सामना भी करना पड़ता है क्योंकि अगस्त माह में लंबे समय बाद बारिश या पानी फसल में दिया जाता है।

सुखा या उखेड़ा रोग से मुक्ति कैसे पाए

दोस्तों कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर विकास पूनिया ने बताया कि किसान इसके लिए पाउडर या लिक्विड दोनों फॉर्म में उपलब्धता के हिसाब से ट्राइकोडरमा को इस्तेमाल कर सकते हैं। यह संगत से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है किसान लगातार फसल में पानी ना दें और बिजाई के लिए बढ़िया जुताई करनी चाहिए और डीएपी और माइकोराजा देने से पौधों की जड़ की गहराई बढ़ती है और जड़ गहराई पकड़ती है।

तीसरा खुराक उचित मात्रा पूरी करने के लिए 90 दिन के उपरांत 13045 भरपूर मात्रा में दे जो की क्वालिटी के अनुसार दे सकते हैं बेस्ट क्वालिटी है तो 100 लीटर पानी में 1 किलो और यदि हल्की क्वालिटी है तो 2 किलो 13045 लगभग 10 दिन के अंतराल पर दे सकते हैं। यदि किसान समस्या जड़ की गहराई और पौधे को खुराक की मात्रा ठीक रखने में कामयाब हो जाते हैं तो इस समस्या का निपटारा किया जा सकता है।

दोस्तों हमारी वेबसाइट पर आपको रोजाना ताजा मंडी भाव, फसलो की तेजी मंदी रिपोर्ट. वायदा बाजार भाव, खेती बाड़ी समाचार, मौसम जानकारी और खेती बाड़ी से जुडी सभी जानकारियां उपलब्ध करवाई जाती है। साथियों व्यापार अपने विवेक से करे एवम किसी भी प्रकार का निवेश करने से पहले एक बार आंकड़े जरुर चेक करे। facebook और YOUTUBE पर हमसे जुड़ने के लिए सर्च करे FARMING XPERT